MSME की परिभाषा, नई कैटिगरी के हिसाब से मिलेगा लाभ

20 लाख करोड़ के आत्मनिर्भर पैकेज (Atmanirbhar Bharat Package) में सरकार ने MSME के लिए 3 लाख करोड़ रुपये क्रेडिट फ्री लोन की घोषणा की है। इसके अलावा इस सेक्टर की परिभाषा ( MSMEs new definition) बदल दी गई है जो इन्वेस्टमेंट और टर्नओवर के आधार पर है।


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत MSMEs के लिए तमाम घोषणाएं की हैं। इसके अलावा MSMEs की परिभाषा भी बदल दी गई है। नई परिभाषा को जानना और समझना इसलिए जरूरी है, क्योंकि जो घोषणाएं की गई हैं उसका फायदा उस कैटिगरी के हिसाब से मिलेगा। जैसा कि हम जानते हैं MSME का फुल फॉर्म माइक्रो स्मॉल ऐंड मीडियम एंटरप्राइजेज होता है।

नई परिभाषा में मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस यूनिट को एक कैटिगरी में डाल दिया गया है। इसके अलावा उनका क्लासिफिकेशन इन्वेस्टमेंट और टर्नओवर, दोनों आधार पर किया गया है।
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माइक्रो एंटरप्राइजेज
1 करोड़ तक इन्वेस्टमेंट और 5 करोड़ तक टर्नओवर वाली कंपनियां माइक्रो कैटिगरी में आएंगी। पहले मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए इन्वेस्टमेंट की सीमा 25 लाख और सर्विस एंटरप्राइजेज के लिए इन्वेस्टमेंट की सीमा 10 लाख थी
स्मॉल एंटरप्राइजेज
एक करोड़ से 10 करोड़ तक इन्वेस्टमेंट और 5 करोड़ से 50 करोड़ तक टर्नओवर वाली कंपनियां इस कैटिगरी में आएंगी। पुरानी परिभाषा में मैन्युफैक्चरिंग एंटरप्राइजेज के लिए इन्वेस्टमेंट की सीमा 25 लाख से 5 करोड़ तक थी। सर्विस एंटरप्राइजेज के लिए यह सीमा 10 लाख से 2 करोड़ तक थी।
मीडियम एंटरप्राइजेज
10-20 करोड़ तक इन्वेस्टमेंट और 50-100 करोड़ तक टर्नओवर वाली कंपनियां इस कैटिगरी में आएंगी। पुरानी परिभाषा के तहत मैन्युफैक्चरिंग एंटरप्राइजेज के लिए इन्वेस्टमेंट सीमा 5-10 करोड़ के बीच और सर्विस एंटरप्राइजेज के लिए यह सीमा 2-5 करोड़ के बीच है।